Monday 25 December 2017


||  जे छल सपना  || 

सुन - सुन  उगना  , 
कंठ सुखल मोर  जलक बिना  | 
सुन - सुन  उगना  ||  
                    कंठ  सुखल -----
नञि  अच्छी घर कतौ  !
नञि अंगना 
नञि  अछि  पोखैर कतौ 
नञि  झरना  | 
सुन - सुन  उगना  ||
                   कंठ  सुखल -----
अतबे  सुनैत  जे 
चलल   उगना  
झट दय  जटा  सँ 
लेलक  झरना  | 
सुन - सुन  उगना  ||
                   कंठ  सुखल -----
निर्मल  जल सरि  के  
केलनि  वर्णा  |
 कह - कह  कतय सँ 
लय   लें  उगना  || 
सुन - सुन  उगना  ||
             कंठ  सुखल -- 
अतबे  सुनैत  फँसी  गेल  उगना 
"रमण " दिगम्बर  जे 
छल सपना | 
सुन - सुन  उगना  ||
                   कंठ  सुखल -----





Thursday 14 April 2011

MEATHILA















जन - जन के अबैत अछि आबाज ,
दहेज़ मिटाओ यो मिथिला के राज
गुजराल बुढ पूरानक बात ,
नव युवक रखैया आई अपन आगाज
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -

जुग बितल आयल नव जमाना ,
संस्कृति बचाऊ सब मारैया ताना
कोट - कचहरी वियाह करैया ,
कन्यादान के आब बुझैया
नव युवक मंगैया आब अपन जबाब
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -

अहिना चलत ज ई जोड़ - जमाना ,
की - की नै करत नव युबक अपन बहानाबात मानू सब खाऊ मिल किरियो ,
बेटा - बेटी में लेब नै दू टा कोरियो
नब युवक के देखू आयल राज
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -

गाम - गाम में रह्त ई शान ,
बेटा नै बेचीलैथी छैथि निक इंशानदोसरक घर के भीख ज़ोउ मांगब ,
भीख मांगा के नाम से जानब
नव युबक बात पर राखु आब नाज
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -
 छी परदेशी या कउनु सहरी ,
सुनू पुकार आई मिथिला केजों संस्कृति छोरी गेला ओ ,
संतान कहओता ओ दोगला केनव युबक बात के नै मनाब खाराप
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -




madan kumar thakur